पेसा
अधिनियम
प्रिलिम्स के लिये: पेसा
अधिनियम के प्रावधान,
अनुच्छेद
244(1),
भारत
में जनजातीय नीति। मेन्स के लिये: पेसा अधिनियम से संबंधित मुद्दे, पेसा अधिनियम को लागू करने
के लाभ। |
चर्चा में क्यों?
गुजरात में
विभिन्न चुनावी दल पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक
विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996 को सख्ती से लागू करने का वादा करके आदिवासियों
को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
§
गुजरात में जनवरी 2017
में राज्य पेसा
नियमों को अधिसूचित किया गया और उन्हें राज्य के आठ ज़िलों के 50 आदिवासी तालुकों के 2,584 ग्राम पंचायतों के तहत 4,503 ग्राम सभाओं में लागू किया गया।
§
हालाँकि अधिनियम को अभी भी अक्षरश: लागू नहीं किया गया है।
§
छह राज्यों (हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश,
तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात,
महाराष्ट्र) ने
पेसा कानून बनाए हैं और यदि ये नियम लागू होते हैं तो छत्तीसगढ़ इन्हें लागू करने
वाला सातवाँ राज्य बन जाएगा।
पेसा अधिनियम:
§
परिचय:
o
पेसा अधिनियम 1996
में
"पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिये"
अधिनियमित किया गया था।
·
संविधान के अनुच्छेद 243-243ZT
के भाग IX में नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों से
संबंधित प्रावधान हैं।
§
प्रावधान:
o
इस अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जिन्हें अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान
असम,
मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों
में अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे।
o
पाँचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधानों की श्रृंखला प्रदान
करती है।
o
दस राज्यों- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़,
गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड,
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा,
राजस्थान और
तेलंगाना ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है जो इन राज्यों में
से प्रत्येक में कई ज़िलों (आंशिक या पूरी तरह से) को कवर करते हैं।
§
उद्देश्य:
o
अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना।
o
यह कानूनी रूप से आदिवासी समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार को स्वशासन की अपनी प्रणालियों के
माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है। यह प्राकृतिक
संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।
o
ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंज़ूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को
नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
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